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सिंधु घाटी सभ्यता को विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता माना जाता है। इस सभ्यता का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक…

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पूना सार्वजनिक सभा की स्थापना एमजी रानाडे ने की थी

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गुजरात में भी अनेक इतिवृत्त लिखे गये जिनमें ‘रासमाला’, सोमेश्वरकृत ‘कीर्ति कौमुदी’, अरिसिंह को‘सुकृत संकीर्तन’, मेरुतुंग का ‘प्रबंध चिंतामणि’, राजशेखर के प्रबंधकोश, जयसिंह के हमीर मद-मर्दन और वस्तुपाल एवं तेजपाल प्रशस्ति, उदयप्रभु की सुकृत कीर्ति कल्लोलिनी और बालचंद्र की बसंत विलास अधिक प्रसिद्ध हैं। इसी प्रकार सिंधु में भी इतिवृत्त मिलते हैं, जिनके आधार पर तेरहवीं शताब्दी के आरंभ में अरबी भाषा में सिंधु का इतिहास लिखा गया। इसका फारसी अनुवाद चचनामा उपलब्ध है।

मुग़ल काल के पतन से लेकर भारत की आजादी तक और वर्तमान को आधुनिक भारत की श्रेणी में रखा गया है। बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये भारत में संघर्ष प्रारंभ हो गए थे। इस समयकाल ने आंदोलन, क्रांति, विरोध को जन्म दिया। 

गुप्त साम्राज्य की शुरुआत किसने और कब की?

प्रारंभिक आधुनिक भारत (१५२६ – १८५८ ईसवी)

हिन्द-स्क्य्थिंस राज्य (२०० ई.पू.–४०० ईसवी)

धार्मिक साहित्य का उद्देश्य मुख्यतया अपने धर्म के सिद्धांतों का उपदेश देना था, इसलिए उनसे राजनीतिक गतिविधियों पर कम प्रकाश पड़ता है। राजनैतिक इतिहास-संबंधी जानकारी की दृष्टि से धर्मेतर साहित्य अधिक उपयोगी हैं।

लॉर्ड मिंटो द्वितीय ने वायसराय के रूप में कार्य किया

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सिंधुघाटी सभ्यता में कला एवं धार्मिक जीवन 

उनकी राजपूत माताओं के लिए, संभवतः गुजराती शैली की इमारतों का निर्माण किया गया था। इसमें सबसे राजसी संरचना जामा मस्जिद website और इसके प्रवेश द्वार है, जिसे बुलंद दरवाजा या बुलंद गेट के रूप में जाना जाता है।

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